Wednesday, August 17, 2011

इन्कलाब

पूर्वजों के आंसुओं से हुए
गीले गमछे अभी सूखे कहाँ हैं ? १
आजादी मिली आधी, अँधेरी रात में
इसीलिए तो दिखते नहीं भूखे कहाँ हैं ?
इंडिया की तरक्की से चकित लोग
भारत के नौजवान अभी उठे कहाँ हैं ? ३
गगनचुम्बी लहलहाती बिल्डिंगों में
खोजता है किसान उसके भुट्टे कहाँ हैं ? ४
स्वचालित मशीनों के दबाव में
मजदूरों के पसीने अभी छूटे कहाँ हैं ? ५
जमींन में गहरेगड़े हैं बीज आजादी के
उसकी कोंपले अभी फूटी कहाँ हैं ? ६
मन की बात हरदम मन के बाहर
मन के अंदर अभी घूटी कहां है ? ७
संसदीय गर्जना , कानूनी बिजली से
भ्रष्टाचारियों के रिश्ते अभी टूटे कहाँ हैं ? ८
हमारा इमानदार मुखिया रखता है मौन व्रत
खोजते रहो बेईमान, झूठे कहाँ हैं ? ९
सारी सियासत जहाँ की तहां धरी रह जाएगी
अरे ! हिन्दू मुसलमान अभी जुटे कहाँ हैं ? १०
स्वतंत्रता दिवस आते रहे हैं बार-बार, कईबार
असली इन्कलाब हमने अभी ढूंढे कहाँ हैं ? ११

रास्ट्रीय उत्पादकता परिषद् भारत ज्ञान प्रबंधन

आज यह दूसरा दिन है।