Monday, March 22, 2010

उत्पादकता,गुणवत्ता,मानवता पचासा

उगुमा पचासा
सवास्थ्य, सौन्दर्य, आनंद आज नहीं है उपलब्ध, गुणवत्ता की मांग है
बिन मानवता उत्पादकता नहीं चाहिए ,नहीं चाहिए। १
नींद आती नहीं आज बिना गोली के, गूल की मांग है
बिना सुसुप्ति सयन नहीं चाहिए , नहीं चाहिए । २
अजब का आकर्षण है इन आँखों में ,पर हृदय की मांग है
बिना करुना नयन नहीं चाहिए , नहीं चाहिए । ३
प्रवाह में पूंजी के बह चले , बिक चले ,शास्त्र की मांग है
बिना सम दृष्टी निर्णय नहीं चाहिए ,नहीं चाहिए। ४
भ्रस्ट है आचरण नर ,नारी , युवा की ,युग की मांग है
बिना प्यार प्रणय नहीं चाहिए, नहीं चाहिए । ५
आज बच्चे दबे है बस्तों के बोझ से , बचपन की मांग है
बिना स्वप्नश्रीसतीनहीं चाहिए , नहीं चाहिए । ६
धर्मो , मतों , दलों में बट्टा यह जगत , आम जन की मांग है
बिना दर्द दृष्टि नहीं चाहिए , नहीं चाहिए । ७
चल रहा शोषण , कुपोषण विश्व के गाँव में , ऐश्वर्या की मांग है
बिना श्रम संपत्ति नहीं चाहिए , नहीं चाहिए । ८
रूप , धन के आकर्षण से भरा यह संसार , सौन्दर्य की मांग है
बिना प्रेम दंपत्ति नहीं चाहिए , नहीं चाहिए ।
सत्य बनी का आभाव है आजकल , आनंद की मांग है
बिना प्यास पानी नहीं चाहिए , नहीं चाहिए । १०
आज कवियों , लेखकों की भरमार पुरे संसार में , साहित्य की मांग है
शब्द बिना मानी नहीं चाहिए , नहीं चाहिए । ११
अनु , और अंतरिक्ष में लाख खोज करते रहें , जीव की मांग है
बिना अध्यात्म विज्ञानं नहीं चाहिए , नहीं चाहिए । १२
धर्म, इश्वर का ठेका लिए ठाट से घूमते रहे, दिन - दुखियों की मांग है
बिन भोजन -दवा ,आत्मज्ञान नहीं चाहिए, नहीं चाहिए । १३
सत्ता ,संपत्ति के याचक भरे हैं मगर मानवता की मांग है
बिना कर्तव्य अधिकार नहीं चाहिए, नहीं चाहिए । १४
बम , तोपों के जखीरे किये कायरों ने खरे , वीरता की मांग है
बिना साहस हथियार नहीं चाहिए, नहीं चाहिए । १५
नदी ,नालों को बांध किये वारी बोतल में बंद ,सूखे बादलों की मांग है
बिना निति एकल व्यापार नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। १६
कहीं मौत अन्न के अभाव में ,कही सैर अन्तरिक्ष में , अहिंसा ,शांति की मांग है
बिना संतुलन संसार नहीं चाहिए, नहीं चाहिए । १७
अहन में तरपते विद्वान गरजते , पर शिष्य की मांग है ,
विनय बिना विद्या नहीं चाहिए , नहीं चाहिए । १८
आज श्रेष्ठ गुरुजन भी हैं , भ्रस्त टीचर भी हैं ,पर शिक्षा की मांग है
बिना आदर्श शिष्य और शिष्या नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। १९
रोग, गरीबी से रहा मर देश आज यह , स्वस्थ्य की मांग है
बिना भूख भोजन नहीं चाहिए, नहीं चाहिए । २०
अन्याय से भरा यह जग औ धरा , न्याय की मांग है
बिना युद्ध यौवन नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। २१
सुख, सुविधाओं से सजे हैं पूंजिपत्तियों के घर ,निर्धन श्रमिकों की मांग है
बिना पूंजी वितरण उत्पादकता नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। २२
सिर्फ नारे औ हरताल से पूंजी बढती नहीं ,हर उद्यमी की मांग है
बिन उत्पादकता -ब्रिधि श्रम,शक्ति औ संगठन नहीं चाहिए,नहीं चाहिए। २३
विश्व तो गाँव हुआ नहीं पर गाँव बने विश्व की मांग है
बिन अन्न ,पानी ,हवा कंप्यूटर , मोबाइल नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। २४
अन्तरंग हुआ ध्वस्त ,बहिरंग दिखे स्वस्थ पर सेहत की मांग है
बिना चरित्र सुख, संपत्ति नहीं चाहिए, नहीं चाहिए । २५
हो रहा रोज आविष्कार ,वैज्ञानिकों की भरमार पर विवेक की मांग है
बिना चरित्रवान ज्ञानवान नहीं चाहिए,नहीं चाहिए। २६
घरों में सजे दुकान कतारों में, अरबपति बढ़ रहे हजारों में,किसान ,मजदूरों की मांग है
बिना नैतिकता व्यापार नहीं चाहिए , नहीं चाहिए। २७
हबस को जगाओ मत ,नियम को सुलाओ मत ,समस्त जगत की मांग है
बिना आवश्यकता बाज़ार नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। २८
बढ़ते तकनोलोजी से जीव को कस्त ,पर्यावरण हो रहा नस्त ,हर जीव की मांग है
बिना मानवता विज्ञानं नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। २९
हो रहे पग पग पर खड़े ,मंदिर ,मस्जिद ,गिरिजघरें ,धर्म की मांग है
बिना त्याग ,विराग पूजा, अजान नहीं चाहिए, नहीं चाहिए । ३०
पूँजीवाद,साम्यवाद जाती- रंग-वर्ग-धर्मवाद ,सब विवाद ही विवाद ,समाज की मांग है
बिना सत्य और सिंद्धांत राजनीती नहीं चाहिए ,नहीं चाहिए । ३१
मकान बड़े- बड़े ,परिवार छोटे-छोटे,दिल तो खोते-खोते, शांति की मांग है
बिना खली समय सुबिधा, सामान नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। ३२
अब जितने विशेषज्ञों की भरमार ,बढ़ रही समस्याएँ उतनी अपरम्पार ,समाधान की मांग है
बिना सहकार प्रतिद्वंदिता नहीं चाहिए, नहीं चाहिए । ३३
चाँद पर जाना अब सुलभ ,पडोसी का घर हो गया दुर्लभ ,मानवता की मांग है
बिना संवेदन, सरोकार विकाश नहीं चाहिए , नहीं चाहिए । ३४
टीवी, इन्टरनेट ,मोबाइल के दहाड़ ने किये खड़े सूचनाओं के पहाड़ ,पर निश्छल मन की मांग है
बिना सम्बन्ध बात , परिवार, समाज नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। ३५
खाते फास्ट फ़ूड ,पाचन शक्ति अवरुद्ध ,पर करते 'फील गुड', आज माट्टी की मांग है
बिना अपनी बोली,भाषा ,संस्कृति, 'विदेशी सरकार' नहीं चाहिए, चाहिए। ३६
कंपनियों के लाभ खूब बढ़ रहे, चंद लोगों के लोभ चढ़ रहे, छंटते मजदूरों की मांग है
बिना सम्यक लाभ वितरण औद्योगीकरण नहीं चाहिए, नहीं चाहिए।
आज लोग बढ़ रहे, मनुष्य घट रहे, मानवता की मांग है
बिना गुणवत्ता , उत्पादकता नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। ३८
अब घर नहीं,द्वार नहीं, सिर्फ मकान और दूकान है , ग्राहक की मांग है
निरर्थक ढेर सारा सामान नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। ३९
नहीं अब दालान , खिड़की ही खिड़की से होता आदान -प्रदान ,पडोसी की मांग है
बिना प्यार संवेदनहीन संसार नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। ४०
लोभ लाभों में पड़कर सभी है विक्षिप्त ,रक्तचाप, तनाव से भयभीत , निरोगता की मांग है
जल्दीबाजी से जर्जर, जटिल जीवन नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। ४१
महत्वाकंक्छा से सभी अतृप्त ,बिना मन पे अंकुश दिल कैसे हो तृप्त, मानवता की मांग है
बिना कर्म योग भोग नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। ४२
चाहिए शांति ,सुख ,आनंद तो करे सभी को पसंद , उगुमा की मांग है
बिना योग, बोध, प्रेम लोग नहीं चाहिए , नहीं चाहिए। ४३